रो सकते तो क्या सुकून होता दिल को ,
इस तरह सरे आम , लिख कर ,
जस्बातो की नुमाईश न करनी पड़ती ,
बड़े किस्मत वाले है वो ,
रखते है दरिया-ए-अक्श,
यु पत्थर-दिल कहला कर,
रुसवाई हासिल न करनी पड़ती ,
गर पहले समझ जाता इन अक्शो का तिलिश्म ,
तो रुसवाई यार की सहनी न पड़ती ,
वक़्त पर कर लेता कागज पर बंद , अपनी बेबसी का नाच ऐ,
मुहब्बत अपनी , रुसवा न करनी पड़ती |