ज़माने दो मुझे जड़ें, तुम्हारी यादो की क्यारियों में ,
बड़ी मस्सकत , बड़ी मुद्दतो के बाद ,
नमी बिखरी है , तुम्हारी आँखों में |
बह जाने दो , छोरो से अविरल प्रवाह ,
और सींचने दो अपनी कुम्हलाई काया ,
जन्मों की मिन्नतों की बाद ,
भावनाओ के बादल घुमड़े है ,
तुम्हारे बंज़र सीने में |
आज मौका है ,
मुझ बागवान को रोपने का बीज,
प्रेम का , इस बंज़र दिल में ,
दिल खोल कर बरसना ,
झूम – झूम कर बरसना ,
बंधन तोड़ कर बरसना ,
कल को शायद न बीज हो,
न ही बादल बरसे ,
या फिर बागवान ही न हो |
इस लिए बरस लो आज , जी भर के |
©Abhishek Yadav 2016
Image source – www.google.co.in
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