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सत्यम शिवम सुंदरम

 

सत्य  का बोध , जीवन का अभिशाप है ,

सत्य आप को उषा -निशा ,

जय – पराजय ,

स्वत्रन्त्र -पारितंत्र ,

ऊंच- नीच ,

पाप- पुण्य

और  जीवन – मृत्य का बोध करता है  |

 

हम जीते है इन्ही शब्दों के जंगल में,

मंगल – अमंगल,

अच्छे – बुरे ,

सत्य – असत्य,

सत- तम,के बीच ,

पर ये सत्य ले जाता है ,

पार ,

दूर बहुत दूर ,

 जहाँ कही भी , कुछ भी भेद भाव नहीं है  |

 

सत्य बताता है , दिन और रात एक है ,

पुण्य बिन पाप के जीवित नहीं रहता ,

राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए रावण चाहिए ,

वासना आध्यात्म का एक रूप है,

ज्ञान से अज्ञान बढ़ता है, घटता नहीं

ये सिर्फ सत्य बताता है, और सिर्फ सत्य ही बताता है  |

 

सत्य सिर्फ दर्द देता है, केवल दर्द,

आपके मूल्यों , सिधान्तो , आप की निष्ठा को चोटिल करता है ,

आप को ज्ञानी नहीं वरण अज्ञान आसक्त करता है,

आप को नीलकंठ  बनाता है  |

 

ज्ञान की पीड़ा , सत्य की पीड़ा  शिव को ज्ञात है ,

शिव ज्ञानी है , शिव पीड़ा जानते है ,

और साथ ही , शिव  सत्य की सुंदरता को भी जानते है, मानते है ,

तभी तो सत्यम शिवम  सुंदरम  है ,

शिव को नमन है , उनकी  शांति , उनके धैर्य को नमन है ,

और उनके सत्य साध्य को नमन है ,

हर हर महादेव  ||

 

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© Abhishek Yadav-2015

image source – www. google.co.in

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