सत्य का बोध , जीवन का अभिशाप है ,
सत्य आप को उषा -निशा ,
जय – पराजय ,
स्वत्रन्त्र -पारितंत्र ,
ऊंच- नीच ,
पाप- पुण्य
और जीवन – मृत्य का बोध करता है |
हम जीते है इन्ही शब्दों के जंगल में,
मंगल – अमंगल,
अच्छे – बुरे ,
सत्य – असत्य,
सत- तम,के बीच ,
पर ये सत्य ले जाता है ,
पार ,
दूर बहुत दूर ,
जहाँ कही भी , कुछ भी भेद भाव नहीं है |
सत्य बताता है , दिन और रात एक है ,
पुण्य बिन पाप के जीवित नहीं रहता ,
राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनने के लिए रावण चाहिए ,
वासना आध्यात्म का एक रूप है,
ज्ञान से अज्ञान बढ़ता है, घटता नहीं
ये सिर्फ सत्य बताता है, और सिर्फ सत्य ही बताता है |
सत्य सिर्फ दर्द देता है, केवल दर्द,
आपके मूल्यों , सिधान्तो , आप की निष्ठा को चोटिल करता है ,
आप को ज्ञानी नहीं वरण अज्ञान आसक्त करता है,
आप को नीलकंठ बनाता है |
ज्ञान की पीड़ा , सत्य की पीड़ा शिव को ज्ञात है ,
शिव ज्ञानी है , शिव पीड़ा जानते है ,
और साथ ही , शिव सत्य की सुंदरता को भी जानते है, मानते है ,
तभी तो सत्यम शिवम सुंदरम है ,
शिव को नमन है , उनकी शांति , उनके धैर्य को नमन है ,
और उनके सत्य साध्य को नमन है ,
हर हर महादेव ||
Next plz
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