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JNU-भारत नवचेतना की सुरुवात

मुझे पता नहीं की वो कौन लोग थे जिन्होंने JNU में भारत विरोधी नारे लगाये , और अभिव्यक्ति की आज़ादी के आधार पर अपने कुकर्मो की लीपा पोती कर रहे है, किसी भी व्यक्ति और किसी भी राष्ट्र के लिए आत्म सम्मान बड़ा कुछ भी नहीं होता , और कुछ भी नहीं हो सकता ; किसी भी वयक्ति, संस्था,दल,समूह की अभिव्यक्ति , राष्ट्र सम्मान से बड़ी नहीं हो सकती |

और जिन व्यक्तियों को भारत में अभिवयक्ति की स्वतंत्र नहीं महसूस होती , मुझे उन लोगो पर तरस आता है की वो लोग चीन, उत्तरी कोरिया , और UAE  जैसे देश में नहीं है , ये उनका सौभाग्य है की, उनको भारत में उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रत नहीं है , ये कहने और सोचने की भी स्वतंत्र है ,

नहीं तो जो प्रकरण JNU में हुआ , वो अगर चीन में होता तो Tiannmen  Square  जैसी घटना दुबारा होती और कोई चु तक नहीं करता , ये हमारे समाज , और हमारे कानून की नपुंसकता है की हम लोगो को अपने दुस्मनो को सहने की आदत हो गयी है |

अब समय बदल रहा है , और सामाजिक चेतना के इस दौर में हम , विभीषड़  और जय चन्द्रो, को  नहीं सहेगे , बहुत हो गयी लीपापोती , बहुत हुई राजनीति , और बहुत हुई उदार राष्ट्र की छवि , कुछ चीजो के साथ , और कुछ चीजो के लिए हम लोगो को असहिष्णु बनना पड़ेगा ,

और शुरुवात हम लोगो को आज ही करनी होगी , JNU बदलते भारतवर्ष के पदार्पण का गवाह  बनाना चाहिए ,हर उस वयक्ति जिसने भारतवर्ष के खिलाफ  नारे लगाये , हर उस व्यक्ति जिसने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये, हर उस वयक्ति जिसने अफज़ल की शहीद कहा , हर उस व्यक्ति  जिसने इस विचारधारा की सम्मानित और सहयोग किया , उस व्यक्तियों को सरे आम फांसी होनी चाहिए ,सिंगापूर , दुबई ,अमेरिका , फ्रांस और रूस जैसे सम्मानित देशो  की तरह , जिस तरह ये राष्ट्र अपने देश के दुश्मनो , और देशद्रोहियो से निपटते है , हमें भी इनके कर्मो से सीख लेनी चाहिए , और ये वो ही देश है जिनकी कानून ववस्था से हम अपने देश से तुलना करते है |

देश को बाहरी दुश्मनो से बचाने में खून बहता है, जाने जाती है  और अगर देश को आंतरिक दुश्मनो से बचाने में भी खून बहता है है तो बहे ,पर राष्ट्र सम्मान से बड़ा न कुछ है और न कुछ हो सकता है,

भारत के बाहरी और आंतरिक दुश्मनो  सावधान , अब हम बदल चुके है, और हमारा देश भी बदल चूका है |

https://youtu.be/BW6_mT7in1Q

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