पानी की नन्ही बूंदे भी क्या कमाल करती है ,
जो न चाहो वो भी कर दे, वो हाल करती है ,
कभी याद दिलाती है कागज की नाव ,
कभी याद दिलाती है लेना पीपल की छाव,
कभी घुटनो तक छप-छप कर जाना ,
कभी अपने जूतो को थैले में लेकर आना,
कभी गिर जाना साइकिल से नाली पे,
कभी पत्थर फेकना कच्ची आम की डाली पे ,
कभी भीगना जब तक दिल न करे,
कभी पकोड़े खाना जब तक पेट न भरे ,
पर न जाने क्यों अब बारिश में वो बात नज़र नहीं आती,
कीचड़ से डरना, वक्त पर पहुचना,भीगने से बचना,
सर्दी की दवा खाना, आकाश देख कर गम से भर जाना,
या काम पर देर के डर से मर जाना ,
न जाने अब बादलो के आ जाने से डर का एहसास होता है ,
या बारिश बदली है या फिर मैं बदला हुँ |
बारिश तुम से अपने दिल की बात कहता हुँ,
अबकी तुम गरज बरस कर आओ,
मेरे दिल की गर्द हटा ले जाओ,
मेरी आत्मा की मैल बहा ले जाओ,
आओ मेरे जीवन में बन कर उम्मीदों की बाढ़ ,
अबकी मैं बैठा हुँ बह जाने के लिए तैयार ,
तुम्हारे आने पर मैं मुस्कुराउगा,
परिवर्तन के गीत गाऊंगा,
आओ बारिश तुम झूम कर आओ,
अपने संग मुझको भी बहा ले जाओ,
आओ बारिश , अब आ भी जाओ |
© Abhishek Yadav 2015
Image source – www.google.co.in
just loved it Abhishek rain is truly nostalgic.
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nice बहुत अच्छी रचना है….
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