सीधी रेखा मे चलना चाहता हू जीवन मे, पर जीवन तो है रेखाओ का जाल,
जितना सुलझाने की कोशिश करता , उतना बिखरता ये मकाड़जाल ,
रोज नयी कहानी, रोज नयी परेशानी, जीवन साँसो की आधा- प-ती ,
रोज -रोज संघर्ष की कहानी, जो खतम ना हो पाती |
समस्याए है अनंत, अकट्टये, अपरंमपार,
पर इन से निपत का की संघर्ष है, जीवन का सार ,
जो भी जीवित है, उसकी जीवन मे संघर्ष रोज नया, जिस दिन बिखरे उस दिन जीवन ही कहा…?
जो भी मैने जीवन सी सीखा बतलता हूॅ, संघर्ष से मत डरो ये ही कह पता हूॅ |
जो संघर्ष किया तो ही आगे बढ़ पाओगे , बिन संघर्ष रेंगते रह जाओगे,
जो आगे ना बढ़े , उपर ना उठे , तो जीवन क्या …?
क्या सीखोगे , क्या दूसरो को संघर्ष स्मरण बतलोगे ..?
मृतक ही आराम से सोते है ,
आराम से रह पाते है, जो जीवित है वो ही संघषो से गाथाये बनाते है ,
उठ जाओ भरो फिर से नयी चाल ,
बताओ परिस्थितीयो को अपने लड़ने से जीवित होने का हाल |
© Abhishek Yadav 2015
image source www.google.in
Wah bhae wah nice very nice 🙂
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Thanks for comment…
aap jaise logo ki wajah se he hum log likh pate hai..
is it possible to get your email id ..?
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